Page 105 - Montfort Magazine 21-22
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कशवत़ा - पढ़ाई ऑनल़ाइन






            ऑनिाइन कक्ाओं न बड़ा रुिाया,                      होता हरिम गड़बड़झािा,
                              े
                         ्थ
                े
            पहि थ तो दसफ टीचर,                                दकस आफत स पड़ा ह पािा,
                   े
                                                                          े
                                                                                ै
                  ें
                 े
            अब परनटस भी कक्ा क भीतर,                          होमवक होता ह अपिोड ,
                    ्
                               े
                                                                           ै
                                                                    ्थ
            आसरा ना कोई भी भाया,                              क्ासवक होता ह डाउनिोड,
                                                                            ै
                                                                     ्थ
            ऑनिाइन कक्ा न बड़ा रुिाया |                       अपऔर डाउन क इस चक्कर म,   ें
                           े
                                                                            े
                      े
                            े
                    ैं
                                े
                                     े
            बच भी ह तज बड़,रखत अपन कान खड़,   े               जान हम दकतना उिझाया,
                े
                                                                     ें
                                                                 े
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                    ़
            जब ना सझ सवाि का सिशन,                            कक्ा का ह यह रूप ना भाया,
                                                                       ै
            फटाक स कहत मडम खराब कनक्शन,                       ऑनिाइन कक्ा न बड़ा रुिाया |
                    े
                         े
                           ै
                                        े
                                                                             े
            टीचर का भी सर चकराया,
            ऑनिाइन कक्ा न बड़ा रुिाया,                        अव्यकत़ाशि़ा ्य
                           े
                                                                   ृ
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              ़
            म्टअनम्ट का खि दनरािा,                            कक़्ा-3सी
                            े
              ै
            मडम को मसकिि म डािा,
                             ें
                      ु
               ऑनल़ाइन पढ़ाई
                                       ै
                     े
                जब स कोरोना की समस्ा ह आई,
                हमारी शरू हुई ऑनिाइन पढ़ाई ।
                       ु
                 ु
                शरू म यह िगी थोड़ी अिबिी,
                                       े
                      ें
                जस कोई अनबझी सी पहिी ।
                 ै
                            ़
                                     े
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                म्ट/अनम्ट समझ नहीं आता था,
                  ़
                रज़ हनड गायब हो जाता था ।
                 े
                    ैं
                यह अनभव सभी क दिए नया था,
                               े
                      ु
                पर आत्मदवश्वास दकसी का न गया था ।
                सभी क प्यासों न इस सफि बनाया,
                     े
                                 े
                              े
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                सारी कक्ा को एक िपटॉप म समाया ।
                                        ें
                ओजस्ी
                तीसरी अ
        Souvenir 2020-21                                                                                    |  105
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